यजुर्वेद
यजुर्वेद में अनुष्ठानों तथा कर्मकांडों में प्रयुक्त होने वाले श्लोकों तथा मंत्रों का संग्रह है।
इसका गायन करने वाले पुरोहित अध्वर्यु कहलाते थे ।
यजुर्वेद गद्य तथा पद्य दोनों में रचित है। इसके दो पाठान्तर हैं- 1.कृष्ण यजुर्वेद 2. शुक्ल यजुर्वेद
कृष्ण यजुर्वेद गद्य तथा शुक्ल यजुर्वेद पद्य में रचित है।
यजुर्वेद में राजसूय, वाजपेय तथा अश्वमेघ यज्ञ की चर्चा है।
यजुर्वेद में 40 मंडल तता 2000 ऋचाएं(मंत्र) है।
सामवेद :-
-सामवेद में अधिकांश श्लोक तथा मंत्र ऋग्वेद से लिए गए हैं।
-सामवेद का संबंद संगीत से है।
-इस वेद से संबंधित श्लोक और मंत्रों का गायन करने वाले पुरोहित उद्गातृ कहलाते थे ।
-इसमें कुल 1549 श्लोक हैं। जिसमें 75 को छोड़कर सभी ऋग्वेद से लिए गए हैं।
-सामवेद में मंत्रों की संख्या 1810 है।
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