: 'चरणामृत' का अर्थ होता है 'भगवान के चरणों का अमृत'। यह अमृततुल्य है। इसका प्रतिदिन सेवन करने से किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता। एक शोधानुसार तुलसी का सेवन या उसके रस का सेवन करने से कैंसर दूर हो जाता है। इसे तो आप प्रतिदिन पी सकते हैं।
तुलसी सर्वरोगनाशक है। यह संसार की एक बेहतरीन एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-एजिंग, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-सेप्टिक, एंटी-वायरल, एंटी-फ्लू, एंटी-बायोटिक, एंटी-इंफ्लामेटरी व एंटी-डिसीज है। तुलसी मुख्य रूप से 5 प्रकार की पाई जाती हैं- श्याम तुलसी, राम तुलसी, श्वेत सुरक्षा, वन तुलसी एवं नींबू तुलसी।
कैसे बनता है चरणामृत : तांबे के बर्तन में चरणामृतरूपी जल रखने से उसमें तांबे के औषधीय गुण आ जाते हैं। चरणामृत में तुलसी पत्ता, तिल और दूसरे औषधीय तत्व मिले होते हैं। मंदिर या घर में हमेशा तांबे के लोटे में तुलसी मिला जल रखा ही रहता है।
चरणामृत लेने के नियम : चरणामृत ग्रहण करने के बाद बहुत से लोग सिर पर हाथ फेरते हैं, लेकिन शास्त्रीय मत है कि ऐसा नहीं करना चाहिए। इससे नकारात्मक प्रभाव बढ़ता है। चरणामृत हमेशा दाएं हाथ से लेना चाहिए और श्रद्घाभक्तिपूर्वक मन को शांत रखकर ग्रहण करना चाहिए। इससे चरणामृत अधिक लाभप्रद होता है।
चरणामृत का लाभ : आयुर्वेद की दृष्टि से चरणामृत स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार तांबे में अनेक रोगों को नष्ट करने की क्षमता होती है। यह पौरूष शक्ति को बढ़ाने में भी गुणकारी माना जाता है। तुलसी के रस से कई रोग दूर हो जाते हैं और इसका जल मस्तिष्क को शांति और निश्चिंतता प्रदान करता हैं। स्वास्थ्य लाभ के साथ ही साथ चरणामृत बुद्घि, स्मरण शक्ति को बढ़ाने भी कारगर होता 🙏आचार्य संदीप शर्मा 🙏
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