महाराणा प्रताप का जीवन परिचय
•महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 वीर विनोद के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म 15 मई 1539 इसी को नैंसी के अनुसार 4 मई 1540 इसी को कर्नल टॉड के अनुसार 9 मई 1549 इसी को कुंभलगढ़ में हुआ
•जन्म स्थानकुंभलगढ़ के कटारगढ के बादल महल जुनी कचहरी में ,( राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी द्वारा प्रकाशित ग्रंथ महाराणा प्रताप में विभिन्न तर्कों के उपरांत महाराणा प्रताप का जन्म अपने मामा के यहां पाली में होना माना गया है) प्रताप का बचपन का जीवन कुंभलगढ़ में ही गुजरा था
•राज्यभिषेक28 फरवरी 1572 गोगुंदा में महाराणा प्रताप का राज्यभिषेक कृष्णदास में प्रताप की कमर में राजकीय तलवार बांधकर किया गोगुंदा के राज्य अभिषेक को राजमहलों की क्रांति भी कहा गया ,
•द्वितीय राज्यभिषेकराणा प्रताप का दूसरा राज्यभिषेक कुंभलगढ़ किले में विधिवत तरीके से हुआ था जिस में मारवाड़ चंद्र सेन ने भी भाग लिया था (नोटअगर परीक्षा में गोगुंदा और कुंभलगढ़ दोनों ऑप्शन आते हैं तो गोगुंदा इज राइट आंसर),
•प्रताप के पिताउदय सिंह ,
•प्रताप की माताजयवंता बाई जो (अखेराज सोनगरा की बेटी थी),
•प्रताप की पत्नीअजब्दे पंवार (अमर सिंह की माता)
•प्रताप का घोड़ाचेतक,
•चेतक की छतरीबलीचा/बालेचा (उदयपुर)
•प्रताप के उपनामराणा कीका, नलिया कति, पाथल, गजकेसरी, नीला घोड़ा रा असवार, मेवाड़ केसरी
•प्रताप द्वारा लड़े गए युद्ध हल्दीघाटी का युद्ध 1576, कुंभलगढ़ का युद्ध 1578, दिवेर का युद्ध 1582, दिवेर के युद्ध से ही मेवाड़ की भूमि को मुक्त कराने का अभियान प्रारंभ किया गया दिवेर की जीत के बाद ही महाराणा प्रताप चावंड में अपना निवास बनाया और 1585 ई.में चावंड को अपनी राजधानी बनाई
•महाराणा प्रताप की मृत्यु19 जनवरी 1597 चावंड मे नोट( जेम्स टॉड के अनुसार महाराणा प्रताप की मृत्यु उदयपुर में पिछोला झील के पास के महलों में हुई थी).
•महाराणा प्रताप की छतरीबांडोली उदयपुर बांडोली में स्थित प्रताप की छतरी पर 8 खंबे हैं
•महाराणा प्रताप के उपनाम
• राणा कीकामहाराणा प्रताप को पहाड़ी क्षेत्रों में भीलो द्वारा राणा कीका कहा जाता था जो छोटे बच्चों का संबोधन सूचक शब्द है मुस्लिम इतिहासकार भी महाराणा प्रताप को कीका नाम से संबोधित करते थे
• नलिया कति अकबर महाराणा प्रताप को अपनी अभिनता में नहीं ला पाया था इसलिए अब्दुल फजल ने महाराणा प्रताप को नलिया कति कहा
• गजकेसरी जेम्स टोड ने महाराणा प्रताप को गज केसरी के नाम से संबोधित किया है
• पाथल राजस्थानी साहित्य में राणा प्रताप को पाथल और बीकानेर के कवि पृथ्वीराज राठौर को पीतल कहा गया यहां पर पाथल का अर्थ सूर्य है
• नीला घोड़ा रा असवार शक्ति द्वारा प्रताप को बचाने के लिए अपना नीला घोड़ा दिया और प्रताप को बचाया इस कारण प्रताप को नीला घोडा रा असवार कहां
मेवाड़ केसरीमहाराणा प्रताप को मेवाड़ केसरी के नाम से भी जाना जाता था
•महाराणा प्रताप द्वारा लड़े गए युद्ध/महाराणा प्रताप के समय के युद्ध
•हल्दीघाटी का युद्ध इस युद्ध को राजसमन्द युद्ध,
•बदायूंनी ने हल्दीघाटी के युद्ध को अपने ग्रंथ मुंतखब उल तवारीख में गोगुंदा का युद्ध कहा और
•अबुल फजल ने इसे खमनोर का युद्ध कहा
• राजसमंद जिले में बनास नदी के तट पर स्थित खमनोर स्थान पर हल्दीघाटी के दर्रे के बाहर से यह युद्ध हुआ इस स्थान विशेष के कारण इस युद्ध को खमनौर के युद्ध के नाम से भी जाना जाता है राणा रासो,संगतरासो,राज प्रशस्ति शिलालेख,अमर काव्य में इस युद्ध को खमनोर का युद्ध बताया गया है
• कर्नल जेम्स टोड ने इसे मेवाड़ की थर्मोपोली और इस युद्ध के प्रत्येक नगर के लड़ाकों को लियोनीडास कहा हैया राजस्थान की थर्मोपोली कहां गया,
•कर्नल जेम्स टोड ने ही अपनी पुस्तक एनल्स एंड एंटीक्यूटीज ऑफ राजस्थान में पहली बार इस युद्ध को हल्दीघाटी का युद्ध नाम दिया,
•इसके अतिरिक्त इस युद्ध को प्रसिद्ध इतिहासकार डॉक्टर गोपीनाथ शर्मा ने इसे अनिर्णित युद्ध की संज्ञा दी है,
•बनास नदी के निकट या युद्ध होने के कारण इस युद्ध को बनास युद्धभी कहा गया
•इस युद्ध को हाथियों का युद्धभी कहां गया क्योंकि इसमें सिसोदिया वंश वह मुग़ल वंश के हाथियों ने प्रमुखता से भाग लिया
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