दोस्तों जब मैं यह पोस्ट लिख रहा हूं उसमें भारत ने साउथ कोरिया के साथ Military logistics agreement साइन किया है. इससे पहले भारत यूएसए के साथ भी Military logistics agreement साइन कर चुका है. इस पोस्ट में हम यह जानेंगे कि मिलिट्री लॉजिस्टिक्स एग्रीमेंट क्या होता है और इसके अंदर क्या-क्या कवर किया जाता है.
military logistics agreement Kya Hota Hai : दोस्तों Military logistics agreement के तहत जिन 2 देशों के बीच यह एग्रीमेंट साइन किया जाता है वह आपस में एक दूसरे की सैन्य शक्तियों का इस्तेमाल कर सकते हैं. यहां पर सैन्य शक्ति का यह मतलब नहीं है कि वह हमारे सैनिकों का इस्तेमाल करेंगे. दरअसल Military logistics agreement के तहत यदि किसी देश की आर्मी को लॉजिस्टिक्स रिक्वायरमेंट हैं तो दूसरा देश उनको यह सुविधा देगा.
इसको एक उदाहरण के तहत समझने की कोशिश करते हैं जैसा कि भारत और साउथ कोरिया के बीच मिलिट्री लॉजिस्टिक्स एग्रीमेंट साइन हो चुका है. लेकिन यह सिर्फ नेवी तक ही सीमित है यानि की साउथ कोरियन नेवी इंडियन नेवी का इस्तेमाल कर सकती है.
अभी से समझने की कोशिश करते हैं. मान लीजिए साउथ कोरियन नेवी हिंद महासागर में कहीं पर है और उन्हें नेवी की मदद चाहिए या उन्हें उनकी जहाज के लिए इंधन चाहिए तो वह नजदीकी भारतीय नेवी के पास जाकर उनसे फ्यूल ले सकते हैं. अगर उन्हें किसी और प्रकार के लॉजिस्टिक्स की जरुरत है तो भी यह भारत पूरी करेगा.
भारत और साउथ कोरिया के बीच मिलिट्री लॉजिस्टिक्स एग्रीमेंट को CEPA कहा जाता है जबकि भारत और यूएसए के बीच मिलिट्री लॉजिस्टिक्स एग्रीमेंट को LEMOA कहा जाता है
दो देशों के बीच इस तरीके का एग्रीमेंट उन्हें सैन्य रूप से मजबूत और उनके बीच आर्थिक और मानसिक रूप से समन्वय स्थापित करता है. इस तरह के की अग्रिम ऐंट करके कोई भी देश अपने विदेशी व्यवहार बनाए रखता है और अपनी ताकत को बढ़ाता है
तो दोस्तों अब आपको मिलिट्री लॉजिस्टिक्स एग्रीमेंट समझ में आ चुका होगा हम उम्मीद करते हैं आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करेंगे और आपका कोई भी सवाल हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बताएं हम आपका जवाब देंगे.
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