वैदिक साहित्य
ऋग्वेद :-
-श्रुति साहित्य में वेदों का प्रथम स्थान है। वेद शब्द ‘विद’ घातु से बना है , जिसका अर्थ है ‘जानना’
-वेदों से आर्यों के जीवन तथा दर्शन का पता चलता है ।
-वेदों की संख्या चार है। ये हैं- ऋग्वेद, यजुर्वेद, समावेद और अर्थवेद ।
-वेदों को संहिता भी कहा जाता है।
-वेदों के संकलन का श्रेय महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेद-व्यास को है ।
-ऋग्वेद में 10 मण्डलों में विभाजित है। इसमें देवताओं की स्तुति में 1028 श्लोक हैं। जिसमें 11 बालखिल्य श्लोक हैं ।
-ऋग्वेद में 10462 मंत्रों का संकलन है।
-प्रसिद्ध गायत्री मंत्र ऋग्वेद के चौथे मंडल से लिया गया है।
-ऋग्वेद का पहला ताथा 10वां मंडल क्षेपक माना जाता है ।
-नौवें मंडल में सोम की चर्चा है।
-आठवें मंडल में हस्तलिखित ऋचाओं को खिल्य कहा जाता है।
-ऋग्वेद में पुरुष देवताओं की प्रधानता है । 33 देवताओं का उल्लेख है।
-ऋग्वेद का पाठ करने वाल ब्राह्मण को होतृ कहा जाता था ।
-देवताओं में सबसे महत्वपूर्ण इंद्र थे ।
-ऋग्वेद में दसराज्ञ युद्ध की चर्चा है।
-उपनिषदों की कुल संख्या 108 है।
-वेदांग की संख्या 6 है।
-महापुराणों की संख्या 18 है।
-आर्यों का प्रसिद्ध कबीला भरत था ।ज
-जंगल की देवी के रूप में अरण्यानी का उल्लेख ऋग्वेद में हुआ है।
-बृहस्पति और उसकी पत्नी जुही की चर्चा भी ऋग्वेद में मिलती है।
-सरस्वती ऋग्वेद में एक पवित्र नदी के रूप में उल्लिखित है। इसके प्रवाह-क्षेत्र को देवकृत योनि कहा गया है।
-ऋग्वेद में धर्म शब्द का प्रयोग विधि(नियम) के रूप में किया गया है।
-ऋग्वेद की पांच शाखाएं हैं- वाष्कल, शाकल, आश्वलायन, शंखायन और माण्डुक्य
-अग्नि को पथिकृत अर्थात् पथ का निर्माता कहा जाता था ।
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